Tuesday, 6 March 2012

कहीं आपकी डिग्री आपके सपने तो नहीं तोड़ रही ?

इस  article का  title आपको  थोडा  अटपटा  लग  सकता  है . क्योंकि  generally इंसान  बड़ी-बड़ी डिग्रीयां   लेकर  तो  बड़े  बड़े  सपने  पूरे  करता  है , कोई  MBBS की  degree लेकर  Doctor बनने  का  सपना  तो  कोई  Engineering की  degree लेकर  Engineer बनने  का सपना , और मैं इन्ही के द्वारा सपने टूटने की बात कर रहा हूँ!!
मेरा  सवाल  ये  है  कि  आज  आप  जो  हैं,  क्या  आपने  ही  वो  बनने  का  सपना  देखा  था  या  आपको  जबरदस्ती  वो  सपना  दिखाया  गया  था ??
मैं  एक  middle class family से  हूँ  और  बचपन  से  मेरे  मित्र -यार  भी  ऐसे  ही  परिवारों  से  रहे  हैं ; और  ज्यादातर  लोग  जो  इस  blog को  पढ़ते  हैं  वो  भी  ऐसे  ही  परिवारों  से  होते  हैं ….शायद  आप  भी . ऐसे  घरों  में  पढाई -लिखी  को  विशेष  महत्त्व  दिया  जाता  है , अक्सर  parents यही  expect करते  हैं  कि उनके  बच्चे  Engineer/ Doctor बने . और  ये  बात  बच्चे  के  दिमाग  में  इतनी  बैठा  दी  जाति  है  कि वही  उसका  सपना  बन  जाता  है . इस  process में  कई  बच्चे  सचमुच  उस  सपने  को  अपना  बना  लेते  हैं  और  इसी  क्षेत्र  में  आगे  चल  कर  बड़े  बड़े  काम  करते  हैं .पर  समस्या  वहां  आती  है  जब  आपके  mature होने  के  साथ  साथ  आपके  अपने  सपने  जन्म  लेने  लगते  हैं …ऐसे  सपने  जिसका  उस  पढ़ाई  लिखी  से  कोई  सीधा  वास्ता  नहीं  होता . For example: Computer Engineering कि  पढ़ाई करके  किसी  अच्छी  IT company में  काम  करने  वाला  बंदा  अपना  Restaurant खोलने  का  सपना  देख  सकता  है , कोई  MBA करके   किसी  multinational company में  काम  करने   की  बजाये  किसी  NGO में   काम  करने  की  सोच  सकता  है , कोई  Doctor किसी  हॉस्पिटल  में  operation करने  की  बजाये  Artist बनने का dream देख सकता है.
पर  अधिकतर  लोग  ऐसे  कदम  नहीं  उठा  पाते  क्योंकि  उनका  उनकी  degree उनके  सामने  आ  जाती  है , उनके  मन  में  कुछ ऐसे  विचार  आ  सकते  हैं :
“ मैंने  तो  Engineering की  है , इतनी  अच्छी  नौकरी  कर  रहा  हूँ , अब  इस  field को  छोड़  कर  Restaurant खोलूँगा  तो  लोग  क्या  कहेंगे .”
“ अगर  मैंने  Artist बनने  के  बारे  में  किसी  से  बोला  तो  लोग  मुझे पागल  समझेंगे . .मेरी  पढ़ाई  में  इतने  पैसे लगे  हैं  …इतना  वक़्त  लगा  है …it’s not possible to change my profession.”
और वो लोग  खुद  को   समझा  लेते  हैं   की  जो  होता  है  अच्छा  होता  है , मेरी  किस्मत  में  यही  करना  लिखा  था …etc.
ज्यादातर  लोग  परिस्थितियों  से  समझौता  क्यों  कर  लेते  हैं ?
क्योंकि  ये  करना  आसान  होता  है …इसके  लिए  कोई  risk नहीं  उठाना  पड़ता ,खुद  को  comfort zone से  नहीं  निकलना  पड़ता …, इसके  लिए  हिम्मत   नहीं  चाहिए  होती  और  साथ  ही  आप  दुनिया  की   नजरो   में  एक  normal इंसान  बने  रहते  हैं .
अगर आप उन ज्यादातर लोगों में नहीं हैं तो बहुत अच्छी  बात है ,आप अपने दिल की आवाज़ सुनकर सचमुच अपने और सोसाइटी के लिए अच्छा काम कर रहे हैं.और यदि आप उनमे से हैं जो अपने  दिल की आवाज़ को दबा कर बैठे हों तो आपको सोचना होगा!!!!
सिर्फ अपने past decisions को सही ठहराने के लिए आप कब तक  गलत future decisions लेते रहेंगे? जो डिग्री आपको आज़ाद करने की बजाये बांधे उसका भला क्या काम? और ऐसा भी नहीं है कि आप जो नया काम करने की सोच रहे हैं वहां आपका पिछला ज्ञान बिलकुल ही काम ना आये.  वो भले आप  directly ना use कर पाएं, पर किसी भी उच्च शिक्षा को हासिल करने में आपके brain का जो development होता है और आपका जो outlook broad होता है वो हर एक काम में आपकी मदद करेगा.
अपने चेहरे पर किसी और का मुखौटा लगा कर ज़िंदा तो रहा जा सकता है पर जिया नहीं जा सकता, एक fulfilling life जीने के लिए आपको अपने मन का काम चुनना होगा., कुछ ऐसे ही जैसा Harsha Bhogle ने , IIM Ahmedabad से  MBA करने  के  बाद  कुछ साल corporate world में काम तो किया पर खुद को अपने दिल की आवाज़ सुनने से नहीं रोक पाए और एक जाने-माने cricket commentator बन गए. Chetan Bhagat भी IIT और IIM से पढ़ाई करने के बाद एक author हैं. Samir Soni , University of California, Los Angeles से  Economics. की पढाई करने के बाद as an Investment Banker काम करते थे पर आज वो acting की दुनिया में नयी ऊँचाइयाँ छू रहे हैं.
और आपको 3 Idiots का Farhaan (Madhavan ) तो याद होगा ही . उसने अपने पिता की इच्छा पूरी करते हुए Engineering तो कर ली पर Rancho की motivation ने finally उसे अपने दिल का काम करने की हिम्मत दे डाली और वो एक renowned wild life photographer बन गया.
इस movie की तरह असल ज़िन्दगी में भी आपके parents तभी सबसे ज्यादा खुश होते हैं जब आप खुद सबसे ज्यादा खुश होते हैं. और आप तभी सचमुच खुश और संतुष्ट हो सकते हैं जब आप अपने दिल की सुने.
दोस्तों जब आप सचमुच किसी चीज को पूरी शक्ति से चाहते हैं तो  Law of Attraction अपना काम करने लगता है,भले शुरू में कोई आपका साथ ना दे पर यदि आप determined हैं तो धीरे-धीरे लोग आपको support करने लगते हैं  और आपके सामने ऐसी opportunities आने लगती हैं जिसके बारे में आपने कभी सोचा भी नहीं होता.
सपने देखना और उन्हें साकार करना सिर्फ आपको inner satisfaction ही नहीं देता बल्कि long term में financially भी ये कहीं अच्छा निर्णय साबित होता है. मैंने जो भी examples ऊपर लिए हैं , ये सभी लोग शायद नौकरी करके इतने पैसे नहीं कम पाते जितना वो अपने दिल का काम करते हुए कमा पा रहे हैं.
यदि  आप भी किसी trap में फंसे हैं और अपनी degree का बोझ ढो रहे हैं तो उस बोझ  को उतार फेंकिये,दोस्तों , Steve Jobs  की कही ये बातें याद रखिये:
“ आपका समय सीमित है, इसलिए इसे किसी और की जिंदगी जी कर व्यर्थ मत कीजिये. बेकार की सोच में मत फंसिए,अपनी जिंदगी को दूसरों के हिसाब से मत चलाइए. औरों के विचारों के शोर में अपनी अंदर की आवाज़ को, अपने intuition को मत डूबने दीजिए.
आपका काम आपकी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा होगा, और truly-satisfied होने का एक ही तरीका है की आप वो करें जिसे आप सच-मुच एक बड़ा काम  समझते हों. और बड़ा काम करने का एक ही तरीका है की आप वो करें जो करना आप enjoy करते हों.
उम्मीद है ये बातें मेरी तरह आपको भी अपना दिल की सुनने की प्रेरणा देंगी.
All the best! May all your dreams come true .

अधूरापन ज़रूरी है जीने के लिए …………




  अधूरापन ज़रूरी है जीने के लिए …………

अधूरापन शब्द सुनते ही मन में एक negative thought  आ जाती है. क्योंकि यह शब्द अपने आप में जीवन की किसी कमी को दर्शाता है. पर सोचिये कि अगर ये थोड़ी सी कमी जीवन में ना हो तो जीवन खत्म सा नहीं हो जायेगा?
अगर आप ध्यान दीजिए तो आदमी को काम करने के  लिए प्रेरित  ही यह कमी करती है. कोई भी कदम, हम इस खालीपन को भरने की दिशा में ही उठाते हैं.Psychologistsका कहना है कि मनुष्य के अंदर कुछ जन्मजात शक्तियां होती हैं जो उसे किसी भी नकारात्मक भाव से दूर जाने और available options  में से  best option  चुनने के लिए प्रेरित करती हैं. कोई भी चीज़ जो life में असंतुलन लाती है , आदमी उसे संतुलन  की दिशा में ले जाने की कोशिशकरता है.
अगर कमी ना हो तो ज़रूरत नहीं होगी, ज़रूरत नहीं होगी तो आकर्षण नहीं होगा, और अगर आकर्षण नहीं होगा तो लक्ष्य भी नहीं होगा.अगर भूख ना लगे तो खाने की तरफ जाने का सवाल ही  नहीं पैदा होता. इसलिए अपने जीवन की किसी भी कमी को negative ढंग से देखना सही नहीं है. असल बात तो ये है कि ये कमी या अधूरापन हमारे लिए एक प्रेरक का काम करता है.
कमियां सबके जीवन में होती हैं बस उसके रूप और स्तर अलग-अलग होते हैं. और इस दुनिया का हर काम उसी कमी को पूरा करने के लिए किया जाता रहा है और किया जाता रहेगा. चाहे जैसा भी व्यवहार हो , रोज का काम  हो, office जाना हो, प्रेम सम्बन्ध हो या किसी से नए रिश्ते बनान हो सारे काम जीवन के उस खालीपन को भरने कि दिशा में किये जाते है. हाँ, ये ज़रूर हो सकता है कि कुछ लोग उस कमी के पूरा हो जाने के बाद भी उसकी बेहतरी के लिए काम करते रहते हैं.
आप किसी भी घटना को ले लीजिए आज़ादी की लड़ाई, कोई क्रांति ,छोटे अपराध, बड़े अपराध या कोई परोपकार, हर काम किसी न किसी अधूरेपन को दूर करने के लिए हैं.कई शोधों से तो ये तक proof  हो चुका है कि व्यक्ति किस तरह के कपड़े पहनता है, किस तरह कि किताब पढता है, किस तरह का कार्यक्रम देखना पसंद करता है और कैसी संस्था से जुड़ा है ये सब अपने जीवन की उस कमी को दूर करने से सम्बंधित है.
महान  psychologist Maslow(मैस्लो)  ने कहा है कि व्यक्ति का जीवन पांच प्रकार कि ज़रूरतों  के आस – पास घूमता है.
पहली मौलिक ज़रूरतें; भूख, प्यास और सेक्स की.
दूसरी सुरक्षा की
तीसरी संबंधों या प्रेम की ,
चौथी आत्मा-सम्मान की
और पांचवी आत्मसिद्धि (self-actualization) की  जिसमे व्यक्ति अपनी क्षमताओं का पूरा प्रयोग करता है.
ज़रूरी नहीं की  हम अपने जीवन में Maslow’s Hierarchy of needs में बताई गयी सारी stages  तक पहुँच पाएं और हर कमी को दूर कर पाएं, पर प्रयास ज़रूर करते हैं.
कई घटनाएँ ऐसी सुनने में आती हैं जहाँ लोगों ने अपने जीवन की  कमियों को अपनी ताकत में बदला हैं और जिसके कारण पूरी दुनियां उन्हें जानती है  जिसमे Albert Einstein और  Abraham Lincoln  का नाम सबसे ऊपर आता है.
Albert Einstein जन्म से ही learning disability का शिकार थे , वह चार साल तक बोल नहीं पाते थे और नौ साल तक उन्हें पढ़ना नहीं आता था. College Entrance के पहले attempt में वो fail भी हो गए थे. पर फिर भी उन्होंने जो कर दिखाया वह अतुलनीय है.
Abraham Lincoln ने अपने जीवन में health से related कई problems face कीं. उन्होंने अपने जीवन में कई बार हार का मुंह देखा यहाँ तक की एक बार उनका nervous break-down भी हो गया,पर फिर भी वे 52 साल की उम्र में अमेरिका के सोलहवें राष्ट्रपति बने.
सच ही है अगर इंसान चाहे तो अपने जीवन के अधूरेपन को ही अपनी प्रेरणा का सबसे बड़ा स्रोत बना सकता है .
जो अधूरापन हमें जीवन में कुछ कर गुजरने की प्रेरणा दे , भला वह negative कैसे हो सकता है.
“ज़रा सोचिये! कि अगर ये थोडा सा अधूरापन हमारे जीवन में न हो तो जीवन कितना अधूरा हो जाये !!!!

Friday, 2 March 2012

सफलता का रहस्य


एक बार एक नौजवान लड़के ने सुकरात से पूछा कि सफलता का रहस्य क्या  है?
सुकरात ने उस लड़के से कहा कि तुम कल मुझे नदी के किनारे मिलो.वो मिले. फिर सुकरात ने नौजवान से उनके साथ नदी की तरफ बढ़ने को कहा.और जब आगे बढ़ते-बढ़ते पानी गले तक पहुँच गया, तभी अचानक सुकरात ने उस लड़के का सर पकड़ के पानी में डुबो दिया. लड़का बाहर निकलने के लिए संघर्ष करने लगा , लेकिन सुकरात ताकतवर थे और उसे तब तक डुबोये रखे जब तक की वो नीला नहीं पड़ने लगा. फिर सुकरात ने उसका सर पानी से बाहर निकाल दिया और बाहर निकलते ही जो चीज उस लड़के ने सबसे पहले की वो थी हाँफते-हाँफते तेजी से सांस लेना.
सुकरात ने पूछा ,” जब तुम वहाँ थे तो तुम सबसे ज्यादा क्या चाहते थे?”
लड़के ने उत्तर दिया,”सांस लेना”
सुकरात ने कहा,” यही सफलता का रहस्य है. जब तुम सफलता को उतनी ही बुरी तरह से चाहोगे जितना की तुम सांस लेना  चाहते थे  तो वो तुम्हे मिल जाएगी” इसके आलावा और कोई रहस्य नहीं है.

Friday, 20 January 2012

joke


Bap: a beta jara bol to kis boys cricket team captan larki? 
Beta: a kase hoga larka team main captan larki?? A nehi ho sakta. 
Bap: abe hain . jara soch ke bata. 
Beta: mujhe to bakwas lagta he. 
Bap: Srilanka ki us team ki captan “Mahila Joyabardhana

joke

Shadi ke bad dusre din Parul apni dady se: Meri unse ladai ho gayie! 
Dady: Shadi mein jhagde toh hote rehte hai fikar mat karo. 
Parul: Woh toh thik hai par ab “LAASH” ka kya karu 

Sunday, 8 January 2012

C PROGRAMMING

C PROGRAMMING EXAMPLES


c program to check odd or even

c program to check odd or even: We will determine whether a number is odd or even by using different methods all are provided with a code in c language. As you have study in mathematics that in decimal number system even numbers are divisible by 2 while odd are not so we may use modulus operator(%) which returns remainder, For example 4%3 gives 1 ( remainder when four is divided by three). Even numbers are of the form 2*p and odd are of the form (2*p+1) where p is is an integer.
We can use bitwise AND (&) operator to check odd or even, as an example consider binary of 7 (0111) when we perform 7 & 1 the result will be one and you may observe that the least significant bit of every odd number is 1, so ( odd_number & 1 ) will be one always and also ( even_number & 1 ) is zero.
In c programming language when we divide two integers we get an integer result, For example the result of 7/3 will be 2.So we can take advantage of this and may use it to find whether the number is odd or even. Consider an integer n we can first divide by 2 and then multiply it by 2 if the result is the original number then the number is even otherwise the number is odd. For example 11/2 = 5, 5*2 = 10 ( which is not equal to eleven), now consider 12/2 = 6 and 6 *2 = 12 ( same as original number). These are some logic which may help you in finding if a number is odd or not.

C program to check odd or even using modulus operator


#include<stdio.h>
 
main()
{
   int n;
 
   printf("Enter an integer\n");
   scanf("%d",&n);
 
   if ( n%2 == 0 )
      printf("Even\n");
   else
      printf("Odd\n");
 
   return 0;
}

C program to check odd or even using bitwise operator


#include<stdio.h>
 
main()
{
   int n;
 
   printf("Enter an integer\n");
   scanf("%d",&n);
 
   if ( n & 1 == 1 )
      printf("Odd\n");
   else
      printf("Even\n");
 
   return 0;
}

C program to check odd or even without using bitwise or modulus operator


#include<stdio.h>
 
main()
{
   int n;
 
   printf("Enter an integer\n");
   scanf("%d",&n);
 
   if ( (n/2)*2 == n )
      printf("Even\n");
   else
      printf("Odd\n");
 
   return 0;
}

Find odd or even using conditional operator


#include<stdio.h>
 
main()
{
   int n;
 
   printf("Enter an integer\n");
   scanf("%d",&n);
 
   n%2 == 0 ? printf("Even number\n") : printf("Odd number\n");
 
   return 0;
}